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23 Jun 2024 · 1 min read

जिंदगी छोटी बहुत,घटती हर दिन रोज है

जिंदगी छोटी बहुत,घटती हर दिन रोज है
********************************

जिंदगी छोटी बहुत,घटती हर दिन रोज है,
खुशियों हों लाजिमी,होती रहती खोज है।

प्यार का हो आसरा,हमसाया भी पास हो,
रहमतें मिलती रहें,हर पल हरदम मौज है।

गर्दिशों में है अड़ी , नौका जीवन की यहाँ,
बंदिशे भी है बड़ी भारी भरकम बौझ है।

जब तलक जिंदा रहे,कोई भी ना पूछता,
बाद मरने के यहाँ,हर दिन होता भोज है।

आज् को जीते रहो,मनसीरत इस जहां,
हाल होता है सदा,जैसी जिसकी सोच है।
*********************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैंथल)

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