✍️जिंदगी क्या है…✍️
✍️जिंदगी क्या है…✍️
——————————————————–//
जिंदगी क्या है, ढलते दिन पल की क़िताब है।
जिंदगी क्या है, गुजरे रात लम्हो का हिसाब है।
यहाँ समझ के परे है,पराये जाने,अपने अंजाने
जिंदगी क्या है,ओढ़कर चेहरों पे कही नक़ाब है।
क़ामयाबी की राह पर अनगिनत सवाल है यहाँ
जिंदगी क्या है, मुश्किल इम्तिहान का जवाब है ।
दिल में बसी छोटी उम्मीदो को बड़े धोके मिलते है।
जिंदगी क्या है,वहाँ सच फ़रेब,तो यहाँ झूठ सवाब है।
खरीद लेते हम चेहरे की हँसी,यदि गम बिक जाते,
जिंदगी क्या है,अपने ही खुशियों पे लगा अबवाब है।
इरादे मक़सूद हो गर ज़ेहन में,हासिल आसमाँ क्या?
जिंदगी क्या है, आज फ़क़ीर है, तो कल नवाब है।
—————————————————————–//
✍️”अशांत”शेखर✍️
06/06/2022