जिंदगी क्या है?
हर रात सुलझा कर सिरहाने रखते है ये जिंदगी।
सुबह उठते ही उलझी पड़ी मिलती है ये जिंदगी।।
सुलझा सुलझा कर थक जाते हैं हम ये जिंदगी।
थकती नहीं ये जिंदगी,सुला देती हमे ये जिंदगी।।
बेवफ़ा हम नहीं,बेवफ़ा हो जाती है ये जिंदगी।
भरोसा इस पर कैसे करे,बेभरोसे है ये जिंदगी।।
रंक से राजा बनाए राजा से रंक बनाती है ये जिंदगी।
पल में राजमहल गिराए,पल मे बना देती हैं ये जिंदगी।।
समझ सका न इसे कोई समझाती सबको ये जिंदगी।
समझदार को बेवकूफ़ बनाती है हमेशा ये जिंदगी।।
ढूंढते रहते है कैसे सफल बने हमारी ये जिंदगी।
ढूंढते ढूंढते थक गए असफल हुई है ये जिंदगी।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम