जिंदगी क्या है इक कहानी है।
ग़ज़ल
2122……1212…..22/112
जिंदगी क्या है इक कहानी है।
इसमें बचपन है औ’र जवानी है।
इक बुढ़ापा भी इसमें आयेगा,
शेर में ज्यों रद़ीफ आनी है।
जिंदगी से जो राब्ता रखती,
एक बस वो ग़ज़ल सुनानी है।
कैसे उसको मियां ग़ज़ल कह दें,
जिसमें ऊला है औ’र न सानी है।
धूप में छांव बन के छा जाए,
जिंदगी वो है जो रूहानी है।
बाप को नींद कैसे आयेगी,
जिसकी बेटी हुई सयानी है।
फिर से रंगत फिजा में लौट रही,
मिल के खुशियां हमें मनानी है।
ग्वाल गोपी से गर मिलें प्रेमी,
जिंदगी फिर लगे सुहानी है।
…….✍️ प्रेमी