जिंदगी को हँसाना नये साल में”
रंज ओ गम मिटाना नये साल में,
जिंदगी को हँसाना नये साल में।।
छोड़ मसरूफियत की ये झूठी जबाँ
हाथ आगे बढ़ाना नये साल में।।
देख अहसास मेरे कभी इश्क़ के
बात मेरी बढ़ाना नये साल में।।
तोड़ दीवार देना सभी बैर की
इश्क़ पीना पिलाना नये साल में।।
बैठ जाना न तनकीद करने कभी
एक रिश्ता निभाना नये साल में।।
भूख से एक मजबूर इंसान को “गोविन्द”
एक रोटी खिलाना नये साल में।।