जिंदगी के रास्ते
******* जिंदगी के रास्ते ******
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उलझनों से भरें है जिंदगी के रास्ते
काँटों से लदे पड़े जिंदगी के रास्ते
रेल की पटरियों से हैं ये उलझे हुए
किस दिशा में है ले जा रहें ये रास्ते
एक रास्ता कई रास्तों में बंट रहा
कैसे चुनेंगे हम हमारे तुम्हारे रास्ते
रास्ते एक दूसरे को ही काट रहे
दिशाहीन से क्यों दिख रहें है रास्ते
देते ही रह गए एक दूजे को वास्ते
राहगीर बदल गए,वहीं खड़ें रास्ते
मनसीरत तेरे इंतजार में हम खड़े
कब तुम आओगे ,अदृश्य हैं रास्ते
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)