जिंदगी की शाम
बहुत देर लगादी तुमने ऐ दोस्त ,!
मेरे जज़्बात समझने में,
अब तो हो रही है जिंदगी की शाम ,
और मुहोबत है नाकामी- की राह में.
बहुत देर लगादी तुमने ऐ दोस्त ,!
मेरे जज़्बात समझने में,
अब तो हो रही है जिंदगी की शाम ,
और मुहोबत है नाकामी- की राह में.