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5 May 2024 · 1 min read

“जिंदगी की बात अब जिंदगी कर रही”

जिंदगी की बात अब जिंदगी कर रही,
किस कारण हमसे इतनी बंदगी कर रही!!

इस क़दर उलझे हैं हम इन भंवर जालों में,
अच्छे काम करके भी हमें शर्मिंदगी कर रही!!

वक्त आने पर मसले और भी उलझ गए,
सही और बुरे के फेर में सभी सुलझ गए!!

यूं उठाए रखा है तेरी वफ़ाओं का बोझ,
दूर रहकर पास आने की तश्नगी कर रही!!

ऐ ज़िंदगी! तू चाहे लाख कोशिशें कर ले,
मुझे अपना बनाने की, गम भुलाने की!!

वो सितम जारी रहेगी, दिल में उतर कर भी,
मिलाकर भी मुझे तुझसे अजनबी कर रही!!

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