” जिंदगी का हिस्सा “
हेलो किट्टू !
कहते हैं सब कि ‘ लगाव दिल से होना चाहिए । ‘
क्या यह पूर्णतः सही है ❓
नहीं ।
कभी किसी के जिंदगी का हिस्सा बनो या उसे अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाओ तब पता चलेगा कि सही मायने में रिश्ता है क्या ।
रिश्ता कोई भी हो माता – पिता का , पति-पत्नी का , भाई – बहन का , गुरु – शिष्या / शिष्य का , प्यार का हो या दोस्ती का या कोई और । इन रिश्तों में प्यार की नींव अपने आप बनती है । ये रिश्ते एहसास से जुड़े होते हैं ।
जहां प्यार होता है ना वहां लगाव नहीं होता। लगाव कुछ पलों के लिए होता है जो सिर्फ क्षणिक सुख देता है और जिंदगी के लिए यादों का घाव दे जाता है ।
प्यार एक दूसरे की खुशी है । रोज़ बात हो ना हो , मिलें न मिलें , शारीरिक रूप से साथ हो न हो वो तकलीफ़ नहीं एक सुकून देता हैवरन विदेश में काम करने वाले और घर से दूर बॉर्डर पर जवानों से कोई रिश्ता ही नहीं होता ।
आज के समय में प्यार , दोस्ती को लगाव ही समझा जाता है ।
हम हमेशा ये भूल जाते हैं कि शरीर के किसी भी हिस्से के क्षति होने पर उसे मलहम – पट्टी करके ठीक किया जाता है न कि काट के फेंक दिया जाता है । और शरीर पर पहने कपड़े कुछ समय के लिए होते हैं जो जरूरत भर पहना जाता है वरन उतार कर फेंक दिया जाता है।
अतः बनना है या बनाना है तो किसी को अपने जीवन का हिस्सा बनाने, कपड़ों की तरह उनसे लगाव न जताएं ।
प्यार करना सीखना है तो अपने माता-पिता से सीखिए वो जिंदगीभर आपको अपने डांट – फटकार या प्यार से आपको सही मानुष बनाने में लगे रहेंगे लेकिन जिंदगी से कभी नहीं निकालेंगे क्योंकि हम उनकी जिंदगी का हिस्सा है , लगाव नहीं ।?✌️?
? धन्यवाद ?
✍️ ज्योति ✍️
( आज मेरे पास जब कोई प्यार , कोई रिश्ता ही नहीं बचा तो खुद को यहां कहा मैंने ।)
नई दिल्ली