जिंदगी का मकसद
जिंदगी का मकसद हो जाए मुकम्मल ,
तो उसकी सालगिरह की अहमियत है ।
वरना नाकामयाबी से भरी यादें तो ,
ज़ख्मों को हरा कर देती हैं।
जिंदगी का मकसद हो जाए मुकम्मल ,
तो उसकी सालगिरह की अहमियत है ।
वरना नाकामयाबी से भरी यादें तो ,
ज़ख्मों को हरा कर देती हैं।