जिंदगी का भरोसा कहां
जिंदगी का भरोसा कहां,कब छोड़ दें जहां
क्यूं सोचूं कल के बारे, क्यूं रहूं परेशां ।
किस्मत का लिखा मिलेगा, वक्त हर ज़ख्म सिलेगा।
बार बार क्यूं रोना ,हर फूल वक्त पर खिलेगा।
क्यों हो इतने उदास, हर पल लबों पे प्यास
याद रख भूल मत,टूटने वाले दिल होते हैं खास।
हर पल जिन्दगी का जी, अश्क खामोशी से पी।
सफ़र ये होगा सुहाना , ज़ख्म खुद अपने सी।
सुरिंदर कौर