जिंदगी कंही ठहरी सी
जिंदगी कंही ठहरी सी क्यों है
उस घडी का इतना इंतज़ार क्यों
याद आती है उन हसींन लम्हों की
याद आती है उन हसींन नगमो की
वो लम्हे जिनमे तुम कुछ कदम साथ थी
वो नगमे जिनमे मोहब्बत बे हिसाब थी
अब जिंदगी कंही ठहरी सी क्यों है
उस घडी का इंतज़ार इतना क्यों है
फ्रेंडशिप डे का यूँ ही गुजर जाना
वेलेंटाईन डे पर तुम्हारा मुस्कुराना
न मिलने के हजारो बहाने बनाना
मेरे हिस्से का भी नाराज हो जाना
फिर भी न जाने क्यों उस घडी का इन्तजार क्यों है
जिंदगी कंही ठहरी सी क्यों है
कैसे कोई भूले वो खट्टी मीठी शरारते
जीवन के इक हिस्से में उभरी हुई इबारतें
कटता है दिन व्हाट्स एप स्टेट्स चेक करते
कटती है राते तुम्हे याद करते करते
न जाने किस बात का इंतज़ार क्यों है
जिंदगी अब कंही ठहरी सी क्यों है
Dr.L k mishra