जिंदगी और मौत
जीतेजी तो कभी चैन से जीने ना दिया ।
ना कद्र की कभी न ही प्यार अपना दिया।
हम मेरी मैयत पर फूल बरसा रहे हो तुम ,
इस बर्ताव से क्या जाहिर करना चाहते हो तुम ,
आज मेरी मौत ने जिंदगी को हरा दिया ।
जीतेजी तो कभी चैन से जीने ना दिया ।
ना कद्र की कभी न ही प्यार अपना दिया।
हम मेरी मैयत पर फूल बरसा रहे हो तुम ,
इस बर्ताव से क्या जाहिर करना चाहते हो तुम ,
आज मेरी मौत ने जिंदगी को हरा दिया ।