जिंदगी और करार
ज़िंदगी है मगर क़रार नहीं
अब किसी पे भी ऐतबार नहीं
ये सुकूं से भरी नसीहत है
सब करो मेरे यार, प्यार नहीं
तुमको उसकी खुशी गंवारा थी
जीत समझो तुम इसको हार नहीं
मान लेती तुम्हे थी फिक्र मेरी
तुम कराते जब इंतज़ार नहीं
जाम पे जाम पी रहें हैं मगर
एक तेरे सिवा खुमार नहीं
इसमें नुक़सान क्या मुनाफा क्या
इश्क़ है इश्क़ कारोबार नहीं
तुम अनन्या से मांगते हो दिल
इसका दिल पे कुछ इख्तियार नहीं
© अनन्या राय पराशर