जिंदगी एक ख़्वाब सी
जिंदगी एक ख़्वाब सी,
झिलमिल सितारों रात सी,
टूटती बेबस नींद यहां,
बदलते दिनरात सी। जिंदगी….
कड़कती है बिजलियां,
खाली भरती बदलियां,
खिलते झरते पुष्प यहां,
बदलते मौसम चार सी। जिंदगी….
कहीं तमगा जीत लिया,
कहीं मनका हार लिया,
भागम भाग बना लिया,
बदलते हर साल सी। जिंदगी….
पहाड़ से चढ़ना यहां,
नदियों से बहना यहां,
गिरना सम्बलना यहां,
उम्र बदलते पड़ाव सी। जिंदगी….
कुछ कितना ही पा लिया,
क्या सारा ही जान लिया,
कोरे कागज उकेर लिया,
नेह की बरसात सी। जिंदगी….
(रचनाकार-डॉ. शिव “लहरी”)