जिंदगी~एक़ कहानी
जिंदगी को जीना
हमें कहाँ आता है
कहीं ना कहीं, किसी ना किसी मोड़ पर
दिल गलती कर जाता है
यहाँ हर कोई
मोहब्बत गुनगुनाता है
हर शख्स,
नगमे सुनाता है
आसमान के रिश्तों को
इंसान दिल से निभाता है
फिर भी यहाँ हर चेहरा
खुशी से कहाँ मुस्कुराता है
कहीं ना कहीं, किसी ना किसी मोड़ पर
दिल गलती कर जाता है
मोहब्बत के अधूरेपन पर
जब कोई कविता लिखता है
कागज़ पर अश्रु आँखों से
कतरा कतरा गिरता है
जब शब्दों के जाले में
भावना उलझ सी जाती हैं
फिर प्यार फ़साने किस्सों से
दिल ही दिल को बहलाता है
कहीं ना कहीं, किसी ना किसी मोड़ पर
दिल गलती कर जाता है