“*जाल”*
“जाल”
शब्दों से बुना जाल ,
अक्षरों को जोड़कर ,
मन में उधेड़ बुन ,
कविता बनाये है।
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जिंदगी का माया जाल ,
मन मे उठा सवाल ,
जाने क्या होगा हाल ,
जीवन बिताये है।
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मोहमाया बिछा जाल ,
बीते हुए कुछ साल ,
जाने ये कोरोना काल ,
जिंदगी बचाये है।
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कविता की शब्द माल ,
दिन महीने वो साल ,
कविता की ह्रदय ताल,
ख्वाहिशें सजाये है।
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शशिकला व्यास✍️