जालिम कोरोना
सुन्न कर दिया सब
जहरीला हुआ वातावरण
बिकने लगी है हवा
कोरोना की मार तगड़ी,
घर पर हुए बच्चे बोर
पढ़ाई भी हुई है खोटी
मस्ती हो गई कोसों दूर
मास्क बना सिर की पगड़ी,
वृद्ध की बनी न्यारी व्यथा
लगने लगा बुढ़पा अब खराब
अंत समय में ना घूम सके
मजबूरन सबने खाट पकड़ी,
यौवनावस्था की ढली जवानी
व्यापार की खत्म हुई कहानी
आराम कर हारा वह आज
नौजवान की भी कमर जकड़ी,
ढांचा बिगाड़ दिया हमने ही
धरती मां को उजाड़ डाला
हरे भरे पेड़ों को खा गए
मात्र ठूंठ बनी इनकी लकड़ी,
इंसान हुआ कैद पिंजरे में
जानवर सैर सपाटे पर निकले
प्राकृतिक हवा बदली सिलेंडर में
तेजी से टेक्नोलॉजी ने रफ्तार पकड़ी,
खत्म किए नदी, पहाड़, झरने
सावन की बारिश घुट गई
प्रकृति ने ले लिया बदला
मीनू बात कहे आज करड़ी।