जाने दिया
मन को संभालते हुए,
मैंने उसे जाने दिया।
हृदय को लुभाता स्नेह,
रखा नहीं जाने दिया।
बचते-बचाते, छुपाते उसे,
हठता को भी जाने दिया।
चिंताओं की शोर गूंज को,
क्षितिज में मिल जाने दिया।
उस ईश्वर की कृपा के लिए,
जिसने हमे उन्मुक्त रखा है।
अपनी कैद में रखी पंछी,
मैंने नभ में उड़ जाने दिया।।