जाने क्यों भूल जाता हूं मैं
देखता हूं जब तेरी आंखों में
जाने क्यों डूब जाता हूं मैं
है गहरी समंदर के जैसी
जाने क्यों भूल जाता हूं मैं।।
है इश्क नया नया अभी तो
उसे बहुत याद आता हूं मैं
कुछ दिनों में रुलाएगा बहुत
जाने क्यों भूल जाता हूं मैं।।
ढूंढता हूं बस उसे यहां वहां
महफिल में जब जाता हूं मैं
यहां उसका नूर है ही नहीं
जाने क्यों भूल जाता हूं मैं।।
याद करता हूं हर पल उसको
उसकी जुदाई में रो जाता हूं मैं
वो मुझसे दूर है ही नहीं
जाने क्यों भूल जाता हूं मैं।।
सपने में भी देखकर उसको
दिल से खुश हो जाता हूं मैं
सपनो और हकीकत में फर्क है
जाने क्यों भूल जाता हूं मैं।।
उसके इन्तज़ार में आजकल
कई कई घंटे बैठा रहता हूं मैं
है वक्त थोड़ा ही जीवन का
जाने क्यों भूल जाता हूं मैं।।
जुदा होने से पहले उससे आज
आखिरी बार मिलने जा रहा हूं मैं
उससे मिलने की खुशी में
जाने क्यों ये भी भूल गया हूं मैं।।