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10 Jan 2021 · 1 min read

जाने किस बात से वो

रब जाने किस बात से वो हर रोज बदलते जाते हैं
इसी गम मे डूबे रहते हैं इसी सोंच में टूटे जाते हैं

कासिद से जो शाम-ओ-सहर सलामती लेते थे अपनी
क्यूँ अब वो वो न रहे क्यूँ मिलने से कतराते हैं

ये चाल है मेरे रकीबों की सारी दुनियां को मालूम
वो इतने भोले तो नहीं जो कुछ भी समझ नहीं पाते हैं

अफसोस भरोसे का अपने अपनो ने कत्लेआम किया
न शिकवा ही करते बनता है न आँसू ही बहाये जाते हैं
M.Tiwari”Ayen”

1 Like · 4 Comments · 481 Views
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