Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Dec 2024 · 1 min read

*जाने कितने साल से, नए-पुराने साल (कुंडलिया)*

जाने कितने साल से, नए-पुराने साल (कुंडलिया)
________________________
जाने कितने साल से, नए-पुराने साल
देख रही है यह धरा, जग में काल-विशाल
जग में काल-विशाल, पेड़ पौधे हरियाली
नदियॉं और समुद्र, घटाऍं नभ में काली
कहते रवि कविराय, छहों ऋतुओं के गाने
चलो सुनें चुपचाप, छुपा इन में क्या जाने
_________________________
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

14 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

यादों की एक नई सहर. . . . .
यादों की एक नई सहर. . . . .
sushil sarna
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
" सफलता "
Dr. Kishan tandon kranti
भूल भूल हुए बैचैन
भूल भूल हुए बैचैन
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
कमाल लोग होते हैं वो
कमाल लोग होते हैं वो
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"आंधी के पानी में" (In the Waters of Storm):
Dhananjay Kumar
नहीं कहीं भी पढ़े लिखे, न व्यवहारिक ज्ञान
नहीं कहीं भी पढ़े लिखे, न व्यवहारिक ज्ञान
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
True is dark
True is dark
Neeraj Agarwal
* भावना स्नेह की *
* भावना स्नेह की *
surenderpal vaidya
शीत
शीत
Mahesh Tiwari 'Ayan'
*शिक्षक के चरणों को पूजो, वह देश-समाज जगाता है (राधेश्यामी छ
*शिक्षक के चरणों को पूजो, वह देश-समाज जगाता है (राधेश्यामी छ
Ravi Prakash
भूल जा वह जो कल किया
भूल जा वह जो कल किया
gurudeenverma198
पागल प्रेम
पागल प्रेम
भरत कुमार सोलंकी
2544.पूर्णिका
2544.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
समय संवाद को लिखकर कभी बदला नहीं करता
समय संवाद को लिखकर कभी बदला नहीं करता
Shweta Soni
जीवन चक्र
जीवन चक्र
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
क्रेडिट कार्ड
क्रेडिट कार्ड
Sandeep Pande
जो व्यक्ति आपको पसंद नहीं है, उसके विषय में सोच विचार कर एक
जो व्यक्ति आपको पसंद नहीं है, उसके विषय में सोच विचार कर एक
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
आओ थोड़े वृक्ष लगायें।
आओ थोड़े वृक्ष लगायें।
श्रीकृष्ण शुक्ल
तो क्या हुआ... !?
तो क्या हुआ... !?
Roopali Sharma
क़िताबों से मुहब्बत कर तुझे ज़न्नत दिखा देंगी
क़िताबों से मुहब्बत कर तुझे ज़न्नत दिखा देंगी
आर.एस. 'प्रीतम'
Bundeli Doha pratiyogita-149th -kujane
Bundeli Doha pratiyogita-149th -kujane
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
"" *जब तुम हमें मिले* ""
सुनीलानंद महंत
......तु कोन है मेरे लिए....
......तु कोन है मेरे लिए....
Naushaba Suriya
ग़ज़ल _ मैं रब की पनाहों में ।
ग़ज़ल _ मैं रब की पनाहों में ।
Neelofar Khan
जिस यात्रा का चुनाव हमनें स्वयं किया हो,
जिस यात्रा का चुनाव हमनें स्वयं किया हो,
पूर्वार्थ
आजकल मैं
आजकल मैं
Chitra Bisht
माँ और फौज़ी बेटा
माँ और फौज़ी बेटा
Ahtesham Ahmad
एसी कहाँ किस्मत कि नसीबों में शिफा हो,
एसी कहाँ किस्मत कि नसीबों में शिफा हो,
Kalamkash
काव्य
काव्य
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
Loading...