*जाने कितने साल से, नए-पुराने साल (कुंडलिया)*
जाने कितने साल से, नए-पुराने साल (कुंडलिया)
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जाने कितने साल से, नए-पुराने साल
देख रही है यह धरा, जग में काल-विशाल
जग में काल-विशाल, पेड़ पौधे हरियाली
नदियॉं और समुद्र, घटाऍं नभ में काली
कहते रवि कविराय, छहों ऋतुओं के गाने
चलो सुनें चुपचाप, छुपा इन में क्या जाने
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451