जाने इतनी बेहयाई तुममें कहां से आई है ,
जाने इतनी बेहयाई तुममें कहां से आई है ,
जो वतन से गद्दारी तुम्हारे खून में समाई है ,
मुफ्त की आजादी तुम्हें हजम नहीं हो रही ,
मगर अमर शहीदों के खून की भी की रुसवाई है ।
जाने इतनी बेहयाई तुममें कहां से आई है ,
जो वतन से गद्दारी तुम्हारे खून में समाई है ,
मुफ्त की आजादी तुम्हें हजम नहीं हो रही ,
मगर अमर शहीदों के खून की भी की रुसवाई है ।