जानू की साड़ी
मेरी जानू पहने साड़ी
लाल किनारे बाली
उसमें लगती है प्यारी
पतली कमरिया बाली ।
ठुमुक ठुमुक के चलती
साड़ी की सिलवट हिलती
उसकी मदमस्त जवानी पर
मेरी जान निकलती ।
साड़ी का पल्लू सरके
मेरी जान के कातिल
लटके झटके
उसकी इसी अदा पर
मेरा दिल जोरों से धड़के ।
साड़ी में लम्बी लगती
जब बाल खोलकर चलती
बैक ओपन है ब्लाउज़
उसकी ब्यूटी पर नही डाउट ।
कमर से बाँधे सरपट
चुन्नट डाले झटपट
हाई हील्स में लचकी
मुझको आ गयी हिचकी ।
मेरी जानू पहने साडी….