जानवर और आदमी में फर्क
जानवर और आदमी में फर्क बुद्धि विवेक का ही है
वाकी निद्रा मैथुन आहार, जानवर भी करते हैं
जानवर आज भी अपनी प्रकृति से चल रहा है
आदमी अपनी प्रकृति पर्यावरण बदल रहा है
आदमी ने सभी जीव जन्तुओं के घरों पर
अतिक्रमण कर लिया है,कई प्रजातियों का
नामोनिशान मिट गया है
आदमी अपने स्वार्थ में सबको मिटा रहा है
लगता है खुद के पैर पर कुल्हाड़ी चला रहा है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी