जानते है
मुहब्बत को जताना जानते है
तुझे दिल में छिपाना जानते है
कभी कहना न मानो बात का तो
समय ऐसे सताना जानते है
करो जब हसरतें पूरी हमारी
तुझे तब हम हँसाना जानते है
अभी से सीख तू दिल को लगाना
तभी तुझको लुभाना जानते है
रहूँ मैं कैद में ऐसे प्यार की
जहाँ से फिर न जाना जानते है
नजर सब ओर तू ही आये मुझे अब
मुहब्बत पाश में फँसाना जानते है
करे पूरी तमन्नायें सभी की
यहीं अरमाँ सजाना जानते है
हुआ है दिल पराया आज क्यों फिर
जहाँ अपना मिटाना जानते है
थका हो जो सुबह से शाम तक तू
सुना लोरी सुलाना जानते है
करे जब बात कड़वी जब कभी मधु
तभी हम तिलमिलाना जानते है
डॉ मधु त्रिवेदी