Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Mar 2022 · 1 min read

जानते हैं कि

जानते हैं कि टूट जाएगा ।
तुम पर करके यकीन बैठे हैं ।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
Tag: शेर
8 Likes · 222 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all

You may also like these posts

भवप्रीता भवानी अरज सुनियौ...
भवप्रीता भवानी अरज सुनियौ...
निरुपमा
एक वो ज़माना था...
एक वो ज़माना था...
Ajit Kumar "Karn"
छल फरेब की बात, कभी भूले मत करना।
छल फरेब की बात, कभी भूले मत करना।
surenderpal vaidya
तड़पता भी है दिल
तड़पता भी है दिल
हिमांशु Kulshrestha
बैठ गए
बैठ गए
विजय कुमार नामदेव
सत्य जब तक
सत्य जब तक
Shweta Soni
जब ये मेहसूस हो, दुख समझने वाला कोई है, दुख का भर  स्वत कम ह
जब ये मेहसूस हो, दुख समझने वाला कोई है, दुख का भर स्वत कम ह
पूर्वार्थ
रिश्तों की डोर
रिश्तों की डोर
मनोज कर्ण
बीज अंकुरित अवश्य होगा (सत्य की खोज)
बीज अंकुरित अवश्य होगा (सत्य की खोज)
VINOD CHAUHAN
शख्सियत ही कुछ ऐसी है,
शख्सियत ही कुछ ऐसी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
चांद पर उतरा
चांद पर उतरा
Dr fauzia Naseem shad
इक्कीसवीं सदी की कविता में रस +रमेशराज
इक्कीसवीं सदी की कविता में रस +रमेशराज
कवि रमेशराज
*ਮਾੜੀ ਹੁੰਦੀ ਨੀ ਸ਼ਰਾਬ*
*ਮਾੜੀ ਹੁੰਦੀ ਨੀ ਸ਼ਰਾਬ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
किसी भी चीज़ की आशा में गवाँ मत आज को देना
किसी भी चीज़ की आशा में गवाँ मत आज को देना
आर.एस. 'प्रीतम'
पितृ दिवस
पितृ दिवस
Ram Krishan Rastogi
" मतलबी "
Dr. Kishan tandon kranti
तोड़ूंगा भ्रम
तोड़ूंगा भ्रम
Shriyansh Gupta
*नए दौर में*
*नए दौर में*
Shashank Mishra
■ कुत्ते की टेढ़ी पूंछ को सीधा  करने की कोशिश मात्र समय व श्र
■ कुत्ते की टेढ़ी पूंछ को सीधा करने की कोशिश मात्र समय व श्र
*प्रणय*
2460.पूर्णिका
2460.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
आकर्षण और मुसाफिर
आकर्षण और मुसाफिर
AMRESH KUMAR VERMA
धूप
धूप
Shutisha Rajput
*रद्दी अगले दिन हुआ, मूल्यवान अखबार (कुंडलिया)*
*रद्दी अगले दिन हुआ, मूल्यवान अखबार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
यथार्थ से दूर का नाता
यथार्थ से दूर का नाता
Dr MusafiR BaithA
मात्र नाम नहीं तुम
मात्र नाम नहीं तुम
Mamta Rani
बंद मुट्ठियों को खुलने तो दो...!
बंद मुट्ठियों को खुलने तो दो...!
singh kunwar sarvendra vikram
जाति और धर्म के मुद्दे इतने अधिक बलशाली हैं कि
जाति और धर्म के मुद्दे इतने अधिक बलशाली हैं कि
Sonam Puneet Dubey
ग़म मौत के ......(.एक रचना )
ग़म मौत के ......(.एक रचना )
sushil sarna
गणतंत्र के मूल मंत्र की,हम अकसर अनदेखी करते हैं।
गणतंत्र के मूल मंत्र की,हम अकसर अनदेखी करते हैं।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
एक सवाल
एक सवाल
Lalni Bhardwaj
Loading...