जादुई निगाहें
भीगी भीगी जुल्फें हैं, या खुशबुओं का साया है!!
चांदनी सा बदन, मखमली लिबास की काया है!
ख़्वाब हो, या कोई हकीकत नहीं जानता,
जैसे हसीं वादियों में जन्नत की छाया है!!
नीलगूं झील सी गहरी तेरी जादुई निगाहें,
मचलती अदाओं में जैसे निगार समाया है!!
चांद की पिघली हुई चांदी, और होठों का अहसास,
घुल गए रंगे-सुखन, आंखों में अंजुमन भर आया है!!
तिरी पायल की छन-छन, और अकेले हम दोनों,
इश्क़ के अनकहे लफ्ज़ ने, मुझे तेरे क़रीब बुलाया है!!
बेमौसम बरसात और तिरे गुलाबी बदन की खुशबू,
भरी बरसात में भीगी जुल्फों ने मिरा मन बहकाया है!!
ख्वाबों में नज़र आती है, बस वो ख्याल हो तुम,
पास बुलाने की चाहत से मिरा मन फिर घबराया है!!