*जाते हैं जग से सभी, राजा-रंक समान (कुंडलिया)*
जाते हैं जग से सभी, राजा-रंक समान (कुंडलिया)
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जाते हैं जग से सभी, राजा-रंक समान
मंजिल सबकी एक है, चिता भस्म शमशान
चिता भस्म शमशान, सभी को बूढ़ा होना
तरुणाई को त्याग, देह निर्बल को ढोना
कहते रवि कविराय, दिवस दो जन सब पाते
दिखलाकर पुरुषार्थ, पटल से वापस जाते
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615 451