जाते जाते वो मुझे उदासी दे गया
जाते जाते वो मुझे उदासी दे गया।
निशानी में कुछ फूल बासी दे गया,
रखता था कितना ख्याल वो मेरा,
बिताने को जिंदगी में खामोशी दे गया।।
जाते जाते उसने मुड़कर भी न देखा,
न उसने मुझे देखा,न उसने मुझे देखा।
क्यो हुआ ऐसा इस जिंदगी में मेरी,
कभी कभी देखकर करते है अनदेखा।।
जाते जाते वो मुझे एक निशानी दे गया,
तड़पने के लिए मुझे एक कहानी दे गया।
नसीब मेरा ऐसा खराब है निकला,
जिंदगी के लिए एक परेशानी दे गया।।
जाते जाते वो सब कुछ चुरा कर ले गया,
आंखो की निंदिया मेरी चुरा कर ले गया।
करू तो क्या करू मैं इस जिंदगी में,
दिल जो एक था वो भी चुरा कर ले गया।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम