जाति
ये जमाना है,
जिसको सिखाना है,
जाति तो देखो,
लेकिन खुद की सोच मत देखो,
हम लोगों को जज करते हैं,
क्या हम खुद अच्छे हैं?
क्या बिलकुल सच्चे है?
आगे बढ़ना है ,
तो सोच आगे बढ़नी होगी|
मेरा ये दावा है,
वो जाती छोटी है,
लेकिन क्या हमारी सोच से ज्यादा छोटी है|
वो हिंदू नहीं है,
ऐसे किसी से भी बात नहीं करनी,
लेकिन मुझे फरियाद करनी है,
जमाना बदल रहा है,
अपनी सोच को बदलो,
वरना जमाना तुम्हें पीछे छोड़ देगा,
और खुद आगे बढ़ेगा,
क्या एक ही सोच से तुम पूरी दुनिया चला सकते हो,
या फिर एक ही कपड़ो से सारे मौसम बीता सक्ते हो,
कैसी ये सोच है,
जिसकी ना कोई खोज है,
केसा जमाना ,
जहाँ भगवान की भी जाति देखते हैं,
और खुद को भगवान समझते हैं,
भगवान ने तो जाति नहीं बनाई ,
पैसा तो उनके पास भी बहुत था,
तुम किस घमंड में चूर हो,
कोन से गुरुर में हो,
सबको अपनी इज्जत प्यारी है,
सबकी अलग-अलग ज़िम्मेदारी है,
तुम किसी का घर नहीं चलते हो,
तो उसको खुद से नीचा कैसे बता सकता हो,
जाति बदलने से कोई जानवर नहीं बन जाता
या फिर तुम भगवान नहीं बन जाते ,
जमाने वो भी थे ,
जमाने ये भी हैं,
भगवान ने जाति नहीं बनाई थी,
पहले भी बनने वाले तुम ही थे ,
और आज भी तुम ही हो|