जातिवाद
जीत से पहले सब रिश्ते याद रहते हैं,
फिर कब इन्हें फर्ज अपने याद रहते हैं।
जातिवाद के नाम पर हो चुनाव तो फिर
हमें भी कब कोई मुद्दे याद रहते हैं।
जीत से पहले सब रिश्ते याद रहते हैं,
फिर कब इन्हें फर्ज अपने याद रहते हैं।
जातिवाद के नाम पर हो चुनाव तो फिर
हमें भी कब कोई मुद्दे याद रहते हैं।