जाता हूँ जब करीब..!!
मैं जाता हूँ जब करीब कुछ बताने के लिये!
ज़िन्दगी दूर चली जाती हैं सताने के लिये!
महफ़िलो की कभी शान न समझो मुझ को!
हम तो अक्सर हँसते हैं गम छुपाने के लिये!
गर मिलने की चाहत है तो दिल से मिलना!
मत मिलना कोई एहसान दिखाने के लिए!
इंतज़ार की कशमकश में जलाया हैं चिराग!
कही आ मत जाना चिराग बुझाने के लिये!
गर नाराज़गी हैं कोई तो शिकायत तो करो!
कहो तो आ जाता हूँ तुमको मनाने के लिये!
अश्क भी तो बहुत हैं और खाक भी हैं बहुत!
बहुत सा खज़ाना हैं मेरे पास लुटाने के लिये!
✒Anoop S.