जाता हूँ जब करीब…
मैं जाता हूँ जब करीब कुछ बताने के लिये!
ज़िन्दगी दुर चली जाती हैं सताने के लिये!
महफ़िलो की कभी शान न समझो मुझको!
हम तो अक्सर हँसते हैं गम छुपाने के लिये!
गर मिलने की चाहत है तो दिल से मिलना!
मत मिलना कोई एहसान दिखाने के लिए!
अगर जाने के लिये आना है तो मत आओ!
आओ मत सिर्फ़ कोई रस्म निभाने के लिए!
इंतज़ार की कशमकश में जलाया हैं चिराग!
कही आ मत जाना चिराग बुझाने के लिये!
गर नाराज़गी हैं कोई तो शिकायत तो करो!
कहो तो आ जाता हूँ तुमको मनाने के लिये!
हमें कहा था जिसने मिलेंगे तुम जैसे हज़ारो!
हैं उम्मीद आयेगा जरुर प्यार जताने के लिये!
हम तो चाहत का रोग लगा बैठे हैं दिल पर!
उम्र भी वो थी जो थी खाने कमाने के लिये!
अश्क भी तो बहुत हैं और खाक भी हैं बहुत!
बहुत सा खज़ाना हैं मेरे पास लुटाने के लिये!
?-AnoopS©
08 Nov 2019