*जाता देखा शीत तो, फागुन हुआ निहाल (कुंडलिया)*
जाता देखा शीत तो, फागुन हुआ निहाल (कुंडलिया)
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जाता देखा शीत तो, फागुन हुआ निहाल
काकरोच चलने लगा, मक्खी मालामाल
मक्खी मालामाल, लगा मच्छर भी गाने
छिपकलियॉं मुॅंह फाड़, शक्ल को लगीं दिखाने
कहते रवि कविराय, दिखा चूहा मुस्काता
जग में भागम-भाग, शीत जब देखा जाता
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451