जाड़ों में बारिश(बाल कविता)
जाड़ों में बारिश(बाल कविता)
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जाड़ों में होता दुखदाई
बच्चों देखो बारिश आई
(1)
बच्चों हर्गिज भीग न जाना
भारी पड़ता इसका आना
फिर मत कहना डाँट पिलाई
जाड़ों में होता दुखदाई
(2)
रानू विमला देखो ऐंठे
कमरे में दुबके हैं बैठे
तुम भी ओढ़ो गरम रजाई
जाड़ों में होता दुखदाई
(3)
एक बूँद जो सिर पर आती
यह जाड़ा- बुखार बन जाती
अंगीठी इसलिए जलाई
जाड़ों में होता दुखदाई
(4)
घर के अन्दर रहना सीखो
अच्छे बच्चो जैसे दीखो
मोजे-टोपी पहनो भाई
जाड़ों में होता दुखदाई
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451