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29 Sep 2019 · 1 min read

जाग उठे जज्बात

सावन का आया महीना
हो रही है बहुत बरसात
प्रियतम नहीं है मेरे पास
मेरे जाग उठे हैं जज्बात

मेरे जाग उठे हैं जज्बात
हो रही है बहुत बरसात
आओ रे ! प्रियतम प्यारे
ले कर प्रेम भरी सौगात

शीतल पवन चल रही है
मन में उठते हैं प्रेम भँवर
जियरा निकलता जाए
कर दो उमंग तरंग शान्त

वर्षा की बूंदें हैं प्रहारी
बरस रहे है मेरे दो नैन
जागती अखियाँ हैं तरसे
दर्श दिखादो मन के मीत

काले काले उमड़े बादल
छाई काली घटा घनघौर
यादों का झरोखा सताए
कब होगी प्रिय मुलाकात

सुखविंद्र सिंह मनसीरत

Language: Hindi
388 Views
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