जागे न असुरारी
अरे मै जागा जागा कै हारी ।अरे मैं जागा जागा कै हारी ।नहीं जागत है असुरारी ।कोन पीड़ा हरै हमारी।।जो सोवत पावँ पसारी।।अरे मैं जागा जागा कै हारी ।ऐसो सोवत है असुरारी अब रैन बीत गई है सारी। मैं बन कर आई थी नई नवेली दुलहन।कया जानू कया पहचानू कि ऐसा है साजन।तन मे आग लगा के सोवत दे पिछारी ।मैं जागा जागा कै हारी .नहीं जागत है असुरारी।।