“जागू मिथिलावासी जागू”
“जागू मिथिलावासी जागू”
नुकेने छी अपन प्रतिभा ,किया आहाँ मौन बैसल छी !
करू आहाँ राज्य केँ निर्माण ,जखन मिथिला मे जन्मल छी !
प्रवासी ज्यों बनल छी त सदा भाषा क नहिं छोडू !
रहू मैथिल बनल सब दिन नऽ अपन मान केँ तोडू !!
करू सब काज मिलजुल केँ नहिं कखनो भेद केँ राखू !
सकल छी मैथिले हम सब नऽ कखनो विभेद केँ आनू !!
@ डॉ लक्ष्मण झा परिमल