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1 May 2022 · 1 min read

जागीर

चलो चलें हम सौंप दें, अपनी सब जागीर
बंधन मन के तब खुलें, चलती जहां समीर
है अच्छा वो वक़्त जो, करें फैसले आप
घर के तुम मुख्तार हो, युग की तुम जंजीर।।

सूर्यकांत द्विवेदी

Language: Hindi
6 Likes · 4 Comments · 676 Views
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