जागरूक मतदाता भारत का भाग्यविधाता-
–राजनीति का गिरता स्तर- –
अब राजनीति केवल शब्दों के फेर में फंसकर रह गई ।
कोई बुआ बबुआ पप्पू शहजादा शहंशाह साम्प्रदायिक आदि जुमलो से गुमराह किया जाता है!
कोई कहता है कि इस सरकार में भ्रष्टाचार है पर सरकार आने पर कोई नेता जेल नहीं जाता क्योंकि सब एक ही जैसे है।यह लोकतंत्र की गिरावट ही मानी जाएगी जब लोग कहते हैं कि हमारे पास 1000 वोट है कैसे ?भाई क्या 1000लोग वोट देने के लिए आप से पूछकर वोट करेंगे और आप उसके एवज मे सौदा करेंगे तो लोकतंत्र कहाँ रहा? कोई कहता है आरक्षण हमें भी चाहिए जो वादा करेंगे उसे हमारा वोट पड़ेगा चाहे वह कानून के दायरे से बाहर ही हो हम सौदेबाजी करेंगे ।
राजनीति में शुचिता केवल शब्दों तक सीमित रहगया है
दूसरों की बुराई करके वोट माँगने वाले लोग यह बताना वाजिब नहीं मानते कि उनका क्या सपना है कैसे राज करेंगे कैसे गरीबी दूर होगी बेरोजगारी कैसे जाएगी?
स्वास्थ्य लाभ के लिए क्या काम करेंगे ।पर हम क्यों बात करे क्या कोई दल इसपर वोट माँगता है क्या?
क्या इससे वोटर प्रभावित होता हैं क्या?
भाई हम तो एक दूसरे की बुराई करेंगे गाली देगे कमी निकालेगे इसी में जनता खुश होगी वोट देगी मुद्दा बस यही है ।लक्ष्य बस इतना ही है । हमारी जबावदेही नहीं
कोई मुद्दा नहीं बस शोरगुल रैली होहल्ला बस चुनाव जीत जाएंगे विपक्ष कभी कभी कूं का कर जिंदा होने का सुबूत मात्र देगा विरोध नहीं करेगा । वाह! लोकतंत्र
तुम प्रजातंत्र की ओर अग्रसरित हो । कभी उबर नहीं सकते समस्या का समाधान नहीं हो सकता ।
हम नेता की भीड़ मात्र बन रहे है जिंदाबाद के नारे लगाने वाले कब जिंदा होने का सुबूत दोगे। जागो
राजनीति के गिरते स्तर के लिए मतदाता को जागरूक होना चाहिए ।
विन्ध्यप्रकाश मिश्र” विप्र विचार “