जागरूकता
जागरूकता
जागरूकता विभिन्न क्षेत्र में बनी रहे।
जागती सदैव जिंदगी नदी बनी बहे।
तथ्य नीर संग ले दिखे सदैव सिन्धु सी।
खुशमिजाज जीवनी लगे सदेह इंदु सी।
क्लेश कष्ट की निशा सदैव भागती दिखे।
जागरूक मोहिनी दिवा घनाक्षरी लिखे।
जागरूक जो सदा वही महान भूप है।
सो रहे मनुष्य के लिए विशाल कूप है।
सावधान जो रहे वही सदा सफल पथिक।
पूछता न राह को स्वयं चले दिखे रथिक।
लक्ष्य आसमान का जमीन पर उतर रहा।
जागरूक आदमी विरोध हर कतर रहा।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।