जागरूकता के साथ शुद्धि के तरफ कैसे बढ़े। ~ रविकेश झा ।
नमस्कार दोस्तों आज बात कर रहे हैं शुद्धि की हम अभी अपने मन को भर के रखे हैं और बस जी रहे हैं। कचरा भरा परा है उसे जागरूकता से शुद्धि करना होगा, तभी हम स्वयं के शरीर विचार भावना को शुद्ध कर पाएंगे।
आप जी रहे हैं ये महत्वपूर्ण नहीं है, आप कैसे जी रहे हैं ये महत्वपूर्ण है। आपका जीवन किस दिशा में जा रहा है, क्या आप मुस्कुराते हैं ?, क्या आप आंतरिक आनंद महसूस किए हैं, इच्छा को जानना होगा, कामना से मुक्त नहीं होना है। आप कैसे जी रहे हैं आपके बुद्धि भावना कैसे काम कर रहा है ये देखना होगा तभी आप जागरूक होंगे। आपको अपने मन को टटोलना होगा। तभी आप जीवंत होंगे, अपने सांस पर ध्यान देना होगा अपने शरीर और विचार को देखना होगा, शुद्धि करना होगा, शुद्धि तब हो जब हम विशिष्ट रूप से जीवन को देखेंगे। हमें भावना को देखना होगा, हमें पहले बाहरी कड़ियां को देखना होगा, सांस हम किस चक्र से ले रहे हैं ये देखना होगा।
हम प्रतिदिन जीवन जी रहे हैं और निरंतर आगे बढ़ रहे हैं कुछ मिलता है फिर हम खुश होते हैं न मिला तो दुःख भी होता है, हम अंदर से भावुक भी होते हैं, धीरे धीरे फसने लगते हैं स्वयं के कर्म से विचार से भावना से, आत्म का तो अभी पता भी नहीं है बस जो दिखता है हम मानने लग जाते हैं। लेकिन हम ध्यान नहीं देते हैं की ये वास्तव में सत्य है संदेह हम नहीं करते हैं बस कर्म करते जाते हैं। जब दुख होता है हम उपाय खोजने लग जाते हैं। उपाय से कुछ नहीं होगा दुःख को देखना होगा मित्रता करना होगा।
हमारे सब से प्रिय मित्र सांस ही है जिसे हम महसूस करते हैं लेते हैं ये सबसे उच्च ध्यान का रूप है आप सांस लेते वक्त स्वयं को देखते रहे सांस आ रहा है जा रहा है बस देखते रहे, आप सहयोग नहीं करें बस देखते रहे। कुछ देर में आप परिणाम देख कर चौंक जाएंगे परिणाम सुखद मिलेगा, आप को विशिष्ट रूप से सांस को देखना होगा, जब आप परिणाम देखोगे तब पता चलेगा कि हम अलग है सांस अलग है सांस कोई और ले रहा है देख कोई और रहा है।
निरंतर प्रयास से आप भी पहुंच सकते हैं,आप अभी घर में है रास्ते पर आना होगा उसके बाद आप जब पहुंच जायेंगे फिर आप स्वयं की रूपांतरण देख प्रसन्न होंगे। भटकना तो होगा कुछ दिन जब तक सत्य नहीं मिलता, जब आप शुद्धि के तरफ बढ़ोगे आपको आनंद का रास्ता खुल जायेगा अनलॉक हो जायेगा, परमात्मा ने 7 चक्र दिए है इस शरीर के अंदर हम जन्म से कुछ चक्र को हम अनलॉक कर देते हैं जिससे शरीर बुद्धि मन चले लेकिन हम अनजान रूप से अनलॉक करते हैं इसलिए हम वर्तमान में नहीं आ पाते चेतना तक नहीं पहुंच पाते हैं।
हमें जागरूकता लाना होगा तभी हम जागृत होंगे अभी बेहोश मूर्छा में जी रहे हैं समय तो लगेगा सार्थक परिणाम भी मिलेगा लेकिन उसके लिए जागरूकता का परिश्रम करना होगा। ध्यान देना होगा, रूपांतरण करना होगा, तभी हम निरंतर अभ्यास से आगे बढ़ सकते हैं और स्वयं की खोज भी हो सकता है। लेकिन हमें पहले जागना होगा आंख कान सभी इंद्रियां को देखना होगा जानना होगा, भोग विलास बहुत किए बहुत जन्म से करते आएं हैं। अब जागना होगा , मुक्ति की ओर बढ़ना होगा, ये सभी बात तब सार्थक होगा जब हम जागेंगे, सभी मन को जानेंगे। जागृत लाएंगे। आप को जागना होगा, ज्ञान और अज्ञान के बीच होना होगा, ज्ञान भी आपका अज्ञान भी आपका फिर दुश्मन या दुःख किस बात का दोनों पमात्मा का योगदान है हमें दोनों के बीच में होना होगा, न ज्ञान न अज्ञान दोनों के बीच में शून्य होना होगा।
धन्यवाद।🙏❤️
रविकेश झा