जागता हूँ क्यों ऐसे मैं रातभर
जागता हूँ क्यों ऐसे मैं रातभर, सोचता हूँ क्या ऐसे मैं रातभर।
चाहता हूँ किससे क्या मैं, करता हूँ इंतजार किसका रातभर।।
जागता हूँ क्यों ऐसे मैं रातभर——————-।।
सुन ओ मेरे दिल,देख चाँदनी, सुला रही है जग को निश्चिंत।
किसी को नहीं है तेरी फिक्र, क्यों कर रहा है तू अपना अंत।।
किससे तुमको मोह है इतना, बुलाता है किसको तू रातभर।
जागता हूँ क्यों ऐसे मैं रातभर——————–।।
चाहता है जाना किस पथ तू , रोके खड़े हैं तेरी राह ये पर्वत।
कर देंगे तुमको रिश्तों से मजबूर, नहीं उड़ सकता तू उन्मुक्त।।
मालूम नहीं तुमको तेरी मंजिल, सजाता है किसको तू रातभर।
जागता हूँ क्यों ऐसे मैं रातभर——————।।
क्या है भरोसा इस जीवन का, करता है क्यों वादा किसी से।
जरूरी नहीं वो तुमको मिले, उसको भी होगा प्यार किसी से।।
क्यों जी.आज़ाद तू नहीं बनता, तड़पता है किसको तू रातभर।
जागता हूँ क्यों ऐसे मैं रातभर——————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)