जां से गए।
जां से गए जहां से गए,
हम कहीं के ना रहे।।
सब ही है यहां रो रहे,
लाश बनकर हम पड़े।।
दफनाने की जल्दी पड़ी,
हम किसी के ना रहे।।
कोई न अपना यहां,
अब तक धोखे में जिए।।
सोचते है अच्छा हुआ,
हम रब से जा मिले।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ
जां से गए जहां से गए,
हम कहीं के ना रहे।।
सब ही है यहां रो रहे,
लाश बनकर हम पड़े।।
दफनाने की जल्दी पड़ी,
हम किसी के ना रहे।।
कोई न अपना यहां,
अब तक धोखे में जिए।।
सोचते है अच्छा हुआ,
हम रब से जा मिले।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ