ज़ेहन में हर घड़ी
ज़ेहन में हर घड़ी
सवाल उठते हैं
क्यों अधूरे रहते हैं ख़्वाब
क्यों साथी छूटते हैं
करो जतन कितने भी
क्यों हर बार दिल टूटते हैं
ज़ेहन में हर घड़ी
यही सवाल उठते हैं
चित्रा बिष्ट
ज़ेहन में हर घड़ी
सवाल उठते हैं
क्यों अधूरे रहते हैं ख़्वाब
क्यों साथी छूटते हैं
करो जतन कितने भी
क्यों हर बार दिल टूटते हैं
ज़ेहन में हर घड़ी
यही सवाल उठते हैं
चित्रा बिष्ट