Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jan 2017 · 1 min read

ज़िन्दगी

एक झोंके ने
कुछ बातें पुरानी,
ताज़ा बना गई ।
मोतियों की चमक,
साँसों की गुलाबी
महक छा गई ।
कुछ परतें
जमी थी जिल्दों पर,
पन्ने फड़फड़ा उठे
रंग-बिरंगी ,
दफ़्न तस्वीरें
नज़र आ गईं ।
टुकड़ों में बंटी
तितर-बितर फैली,
गाल फुलाए अकड़ी ,
अब तक की ज़िन्दगी ,
नज़र पीछे सरसरी जो डाली,
बेचारी नज़र आ गई !

नरेन्द्र ।

450 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ये कैसा घर है. . . .
ये कैसा घर है. . . .
sushil sarna
यदि भविष्य की चिंता है तो वर्तमान को सुधार लो
यदि भविष्य की चिंता है तो वर्तमान को सुधार लो
Sonam Puneet Dubey
राम रावण युद्ध
राम रावण युद्ध
Kanchan verma
* कुण्डलिया *
* कुण्डलिया *
surenderpal vaidya
*दादाजी (बाल कविता)*
*दादाजी (बाल कविता)*
Ravi Prakash
मैं वो चीज़ हूं जो इश्क़ में मर जाऊंगी।
मैं वो चीज़ हूं जो इश्क़ में मर जाऊंगी।
Phool gufran
ये ताज़गी ये तबस्सुम और ये ज़िन्दगी
ये ताज़गी ये तबस्सुम और ये ज़िन्दगी
इशरत हिदायत ख़ान
बेवजह मुझसे फिर ख़फ़ा क्यों है - संदीप ठाकुर
बेवजह मुझसे फिर ख़फ़ा क्यों है - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
विषय:गुलाब
विषय:गुलाब
Harminder Kaur
अनपढ़ प्रेम
अनपढ़ प्रेम
Pratibha Pandey
"जमीं छोड़ आसमां चला गया ll
पूर्वार्थ
18)”योद्धा”
18)”योद्धा”
Sapna Arora
चला मुरारी हीरो बनने ....
चला मुरारी हीरो बनने ....
Abasaheb Sarjerao Mhaske
समय भी दो थोड़ा
समय भी दो थोड़ा
Dr fauzia Naseem shad
हमारे साथ खेलेंगे नहीं हारे वो गर हम से
हमारे साथ खेलेंगे नहीं हारे वो गर हम से
Meenakshi Masoom
परिणति
परिणति
Shyam Sundar Subramanian
सकारात्मक सोच अंधेरे में चमकते हुए जुगनू के समान है।
सकारात्मक सोच अंधेरे में चमकते हुए जुगनू के समान है।
Rj Anand Prajapati
3333.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3333.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
बचपन
बचपन
Vedha Singh
तेरी नाराज़गियों से तुझको ठुकराने वाले मिलेंगे सारे जहां
तेरी नाराज़गियों से तुझको ठुकराने वाले मिलेंगे सारे जहां
Ankita Patel
वो मेरा है
वो मेरा है
Rajender Kumar Miraaj
ज़ख्म आज भी
ज़ख्म आज भी
हिमांशु Kulshrestha
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
#लघुकथा-
#लघुकथा-
*प्रणय*
"अपेक्षा"
Dr. Kishan tandon kranti
यादों के शहर में
यादों के शहर में
Madhu Shah
उनको ही लाजवाब लिक्खा है
उनको ही लाजवाब लिक्खा है
अरशद रसूल बदायूंनी
क़िरदार अपनी आंखों में झलक उठता है,
क़िरदार अपनी आंखों में झलक उठता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हिंदी दिवस को प्रणाम
हिंदी दिवस को प्रणाम
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
काश कही ऐसा होता
काश कही ऐसा होता
Swami Ganganiya
Loading...