ज़िन्दगी से वादा कुछ यूं भी निभाना पड़ता है
ज़िंदगी से कभी कभी वादा यूं भी निभाना पड़ता है
दिल चाहे खुलकर रोना बस मुस्कुराना पड़ता है
खामोश रहकर कुछ यूं ही खुद को समझाना पड़ता है
समझ न पाये जब कोई हमको..खिलखिलाना पड़ता है
जीते जी कुछ मर न पाये अंदर आत्मविश्वास जगाना पड़ता है
ज़िंदगी से कभी कभी वादा यूं भी निभाना पड़ता है
खुद को पाने के लिए जब खुद में ही खोना पड़ता है
जीवन की रणभूमि में जब स्वयं को सारथी बनाना पड़ता है
ऊपर बैठा देखे वो बाज़ीगर हमको बस विश्वास जताना पड़ता है © अनुजा कौशिक