ज़िन्दगी यून्ही गुज़ार ली हमने।
तेरे वादों पे वार ली हमने। ज़िन्दगी यून्ही गुज़ार ली हमने।।
अब तबस्सुम कहाँ से आएगी?
ज़ख्म सीने उतार ली हमने।।
इक रोज़ ग़लती से जो टकराया था।
मुआफी माँग क़समें हज़ार ली हमने।।
यक़ीनन झूठा था वादा भी तिरा। अफशोस!तेरी क़समें गँवार ली हमने।।
अब जाके कहीं हमने आईना देखा।
शुक्र है की सूरत सँवार ली हमने।।