ज़िन्दगी मैं चाल तेरी अब समझती जा रही हूँ
ज़िन्दगी मैं चाल तेरी अब समझती जा रही हूँ
नफरतों के घूँट पीकर दर्द को मैं गा रही हूँ
देखने में तू हसीं पर असलियत तेरी अलग है
आज तक तुझसे बड़ा देखा न मैंने कोई ठग है
एक पल भी चैन से रहने नहीं देती किसी को
हर घड़ी ही रहना पड़ता ज़िन्दगी तुझसे सजग है
मैं बहुत खो भी रही हूँ तुझसे यदि कुछ पा रही हूँ
ज़िन्दगी अब चाल तेरी मैं समझती जा रही हूँ
ख़्वाब दिखलाकर उसे तू एक क्षण में तोड़ देती
जिस तरफ जाना तुझे है मुख उधर ही मोड़ देती
साथ देती तो मेरा है पर नहीं विश्वास तेरा
गैर बनकर तू मुझे अक्सर भँवर में छोड़ देती
मैं सँभल पायी न अब तक ठोकरें ही खा रही हूँ
ज़िन्दगी अब चाल तेरी मैं समझती जा रही हूँ
सिर्फ़ तेरी ही चली है और आखिर तक चलेगी
वक़्त का बस हाथ थामे तू मुझे छलती रहेगी
हर इशारे पर ही तेरे नाचना मुझको पड़ेगा
उस तरफ चलना ही होगा जिस तरफ भी तू कहेगी
बात ये दिन रात अपने दिल को मैं समझा रही हूँ
ज़िन्दगी अब चाल तेरी मैं समझती जा रही हूँ
16-01-2023